राह की रंगीनियों में खो बैठे
प्यार मंजिल से करना था
प्यार रास्ते से कर बैठे ......
आँखें नम हैं
दिल है बहुत अधीर मत उलझो किसी राह में ......अभी ...
जाना है बड़ी दूर ....
राह को साथी बना कर
नादाँ दिल को समझाकर
आगे हर पल बढ़ना होगा
अगर चाहिए तुम्हे सुकूं तो ???
मंज़िल तक चलना ही होगा .....
मंजिल तक चलना ही होगा ...
बहुत ही अच्छा संदेश देती कविता
ReplyDeleteसादर
ऐसा अक्सर होता है जीवन में .....हम अपनी मंजिल भूलकर ..हर उस शै से प्यार करने लगते हैं ...जो रास्ते में लुभाती है ...नतीजतन ....हम भटक जाते हैं......सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजय माँ |
ReplyDeleteशुभकामनायें ||
अगर चाहिए तुम्हे सुकूं तो,
ReplyDeleteमंज़िल तक चलना ही होगा ....उम्दा प्रस्तुति,,,
RECENT POST : ऐ माता तेरे बेटे हम
समय कम है
ReplyDeleteआँखें नम हैं
दिल है बहुत अधीर
मत उलझो किसी राह में ......अभी ...
जाना है बड़ी दूर
मनभावन सौद्देश्य पंक्तियाँ .....
ReplyDeleteसमय कम है
आँखें नम हैं
दिल है बहुत अधीर
मत उलझो किसी राह में ......अभी ...
जाना है बड़ी दूर ....
..........
कोई गीत गाओ , थोड़ी थकान कम हो
सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteअरे.... राह से प्यार किया और मंजिल न भी मिली तो कोई गिला नहीं :-)
ReplyDeleteअनु
मंजिल तक चलना ही होगा !
ReplyDeleteभावपूर्ण !
अगर चाहिए तुम्हे सुकूं तो,
ReplyDeleteमंज़िल तक चलना ही होगा ...बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteराह को साथी बना कर
नादाँ दिल को समझाकर
आगे हर पल बढ़ना होगा
अगर चाहिए तुम्हे सुकूं तो ???
मंज़िल तक चलना ही होगा .....
मंजिल तक चलना ही होगा ...
सुन्दर सन्देश देती रचना....
:-)
समय कम है
ReplyDeleteआँखें नम हैं
दिल है बहुत अधीर
मत उलझो किसी राह में ......अभी ...
जाना है बड़ी दूर ....
सन्देश पहुंचाती मनोभाव
raahon se pyar karoge to manzil paaoge kaise
ReplyDeleteman ko samjha hi lo to behtar hai varna manzil tak chal paoge kaise ?????
khoobsurat nazm.
प्यार मंजिल से करना था
ReplyDeleteप्यार रास्ते से कर बैठे ......
वाकई यूँ ही भटक जाते हैं रास्ते से लोग
हाँ रास्ते ही तो रस्ता रोकतें हैं ,अतीत में ले जातें हैं ,आगे का बहाव रोकते हैं इनका अतिक्रमण करना आगे बढ़ने के लिए बहुत ज़रूरी है .बेशक इन रास्तों पर कभी तुम भी थे ,पर मेरे दोस्त रास्ते कब रुकतें हैं
ReplyDeleteचलते रहतें हैं उस वक्त भी जब हम तुम सोते हैं .मंजिल तक यही तो ले जाते हैं .नै भोर लाते हैं .बढिया रचना .बधाई पुनश्चय :.
Manzilon mein kahan maza hai unhe, jo raahon se mohabbat karte hain... nahi manzilon ki talaaz mujhe, mujhe raaste se pyaar hai..
ReplyDeletesundar abhivyakti..
Sadaar
Madhuresh
यूँ ही चलना तो जीवन हैं .......सादर
ReplyDeleteसमय कम है
ReplyDeleteआँखें नम हैं
दिल है बहुत अधीर
मत उलझो किसी राह में ......अभी ...
जाना है बड़ी दूर ....बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,,
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राह को साथी बना कर
ReplyDeleteनादाँ दिल को समझाकर
आगे हर पल बढ़ना होगा
अगर चाहिए तुम्हे सुकूं तो ???
मंज़िल तक चलना ही होगा .....
मंजिल तक चलना ही होगा ...
aapke ashish ke milne ka intzaar hai.
meri post
चार दिन ज़िन्दगी के .......
बस यूँ ही चलते जाना है !!
पथिक को पथ के साथ बढ़ते रहना चाहिए।
ReplyDeleteसकारात्मक भाव -ऊर्जा उड़ेलती है यह रचना .मेरे ब्लॉग पे आके टिपण्णी करने के लिए आभार .
ReplyDeleteवाह उम्दा भाव बेहतरीन प्रस्तुति बधाई स्वीकारें !
ReplyDeleteआज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है.....:-)
CHALIYE DER AAYAD DURAST AAYAD ...THANKS ...
DeleteTHANKS TO ALL...
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