Friday, 28 September 2012

जहाँ न हो

ब्लोगर साथियों मेरी कविता "जहाँ न हो " की दो पंक्तियाँ मैंने २००२ में सपने में सुना  था जो तब से मेरा पीछा कर रही थी इससे पीछा छुड़ाने के लिए
मैंने आज उसे पूर्णता प्रदान करने की कोशिश की है ..
पता नहीं मैं कहाँ तक कामयाब हो सकी हूँ अपने विचारों के द्वारा जरुर अवगत कराएँगे ..धन्यवाद ....
डोलिया में बिठाये के कहार
ले चल किसी विधि मुझको  उस पार ...
जहाँ न हो किसी के खोने का अंदेशा
जहाँ न हो कोई दुःख-दर्द और हताशा
जहाँ न हो कोई उलझन और निराशा
जहाँ न हो कोई भूखा और प्यासा
जहाँ न हो कोई लाचार..बेचारा
जहाँ न हो कोई तेरा और मेरा
जहाँ न हो कोई अपना और पराया
जहाँ न हो कोई मोह और माया
जहाँ न हो किसी को किसी से विरक्ति
जहाँ न हो कोई शक्ति और आसक्ति 
मुंहमांगी दूँगी तुमको उतराई 
तहेदिल से दूँगी तुम्हें  जीत की बधाई ...
मिलकर इस जीत की खुशियाँ हम मनाएंगे 
अतीत की दर्दीली इन गलियों में 
वापस नहीं हम आयेंगे 
खुशियों से दमकेगा प्यारा वो  संसार ...
ले चल किसी विधि मुझको उस पार ......

40 comments:

  1. खुशियों से दमकेगा प्यारा वो संसार ...
    ले चल किसी विधि मुझको उस पार ....

    खूब शूरत पंक्तियाँ ..सुन्दर अभिव्यक्ति,,,,निशा जी,बधाई,,,,
    RECENT POST : गीत,

    ReplyDelete
  2. अतीत की दर्दीली इन गलियों में
    वापस नहीं हम आयेंगे
    खुशियों से दमकेगा प्यारा वो संसार ...
    ले चल किसी विधि मुझको उस पार

    चलो आओ बसायें हमारा आशियाना
    जहाँ हों हम सभी के और सब हों हमारे

    उपरोक्त भाव दर्शाते आपके पंक्तियों को सादर नमन

    ReplyDelete
    Replies
    1. aapki do panktiyon ne bahut sari baate kah dali ..dhanavad singh sahab ...

      Delete
  3. कौन सा पार....कौन सा कहार! लगता है आपको उतराई में कुछ नहीं खर्च करना....सिर्फ डोली की सवारी का मज़ा लूटना है!!!

    ReplyDelete
  4. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (29-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
  5. अतीत की दर्दीली इन गलियों में
    वापस नहीं हम आयेंगे
    खुशियों से दमकेगा प्यारा वो संसार ...
    ले चल किसी विधि मुझको उस पार ......बेहद गहनशील

    ReplyDelete
  6. बहुत बेहतरीन प्रस्तुति

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुन्दर सपना.....काश ऐसा कोई जहाँ हो....

    ReplyDelete
    Replies
    1. aisa jahan ham jee chuke hain saras jee apne bachpan ko yaad kijiye .....dhanyavad ....

      Delete
  8. बहुत सुन्दर .काश सपने सच होजाए..

    ReplyDelete
    Replies
    1. kai bar kuch sapne sach bhi ho jata hai ..dhanyavad kaneri jee ..

      Delete
  9. aap sabhi ko tahedil se dhayavad nd aabhar ..

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....

    ReplyDelete

  11. .

    सपनों में बहुत बार अच्छी पंक्तियां और शब्द मिलते रहे हैं मुझे भी
    :)

    अच्छी रचना बन पड़ी है …
    बधाई !

    वैसे इन भावों का और विस्तार किया जा सकता था …


    मंगलकामनाओं सहित…

    ReplyDelete
    Replies
    1. bilkul sahi kah rahe hain rajendra jee ....abhi to shuruaat kiya hai ...

      Delete
  12. सुन्दर अभिव्यक्ति,निशा जी.बधाई.

    ReplyDelete
  13. मिली ख्वाब में पंक्तियाँ,दिया उसे आकार |
    ईश्वर से विनती करूँ , सपना हो साकार ||

    ReplyDelete
    Replies
    1. dhanyavad nigam sahab....mere dwara dekhe gaye sapne aksar sakar hote hain ...

      Delete
  14. बहुत सुंदर रचना:
    जहा ना हो का टेंडर
    बडी़ मुश्किल है
    कोई नहीं है डालता
    जहाँ ये सब हो
    उसके लिये तो
    हर कोई अपना
    पर्स सहर्ष ही
    है निकालता !

    ReplyDelete
  15. सपनों का मोहक संसार अपूर्णता में पूर्णता भरता है अभाव की पूर्ती करता है सपने न आयें तो आदमी पागल हो जाए .जो वैसे हासिल नहीं है सपने में मिल जाता है .बढ़िया खाब है जागी आँखों का भी सोई सोई अंखियों का भी .बधाई .

    डोली में बिठाईके कहार ,

    लाये मुझे सजना के द्वार .

    ReplyDelete
  16. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
    अतीत की दर्दीली इन गलियों में
    वापस नहीं हम आयेंगे
    खुशियों से दमकेगा प्यारा वो संसार
    ले चल किसी विधि मुझको उस पार
    .....यह विशेष पसंद आया......निशा जी बधाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. mujhe bhi yahi jiyada accha laga aur yahi mai batana bhi chahti hoon...

      Delete
  17. वाह निशा जी.....
    बहुत ही सुन्दर भाव....
    बेहतरीन कविता........

    सस्नेह
    अनु

    ReplyDelete
  18. खूबसूरत चिंतन ....

    मुझे ये पंक्तियाँ न जाने क्यों याद आ गईं ---

    इस पार प्रिय तुम हो , मधु है
    उस पार न जाने क्या होगा

    ReplyDelete
    Replies
    1. is par agar accha hai to us paar bhi accha hi hoga sangeeta jee.kyonki hamara dristikon agar sakaratamk hota hai to sabkuchh accha hota hai ...dhanyavad ...

      Delete
  19. |मैंने आज उसे पूर्णता प्रदान करने की कोशिश की है ..
    पता नहीं मैं कहाँ तक कामयाब हो सकी हूँ अपने विचारों के द्वारा जरुर अवगत कराएँगे ..धन्यवाद ....
    बहुत ही बढ़िया तरीके से कामयाब हो चुकी हैं आप ,बहुत ही खुबसूरत लिखा है आपने .....

    ReplyDelete
  20. वाह! बहुत ही अच्छी लगी..

    ReplyDelete
  21. इक ऐसे गगन के तले...जहाँ गम भी ना हो...आंसू भी ना हो...बस प्यार ही प्यार पले...

    ReplyDelete
  22. बहुत ही बढ़िया


    सादर

    ReplyDelete
  23. आपका सीधा साधा अंदाज मन को बहुत भाता है.
    मन से तो कोई भी दुःख कभी नही चाहता है
    पर सुख दुःख तो जीवन की धूप और छाया है.
    जो दोनों को साथ ले चला उसने ही आत्म तत्व को पाया है.

    बहुत बहुत आभार,निशा जी.

    ReplyDelete
  24. केवल धन्यवाद से काम नही चलेगा.
    कुछ और भी कहना पड़ेगा निशा जी.
    यहाँ भी और मेरे ब्लॉग पर भी.

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत दिनों के बाद मेरे ब्लॉग पर आप आये इसके लिए
      बहुत -बहुत धन्यवाद राकेश जी ....कुछ और क्या कहूं ?
      हम सभी जानते हैं सुख-दुःख तो जीवन के धूप-छांह हैं जिसे हमें समभाव
      से ग्रहण करना ही पड़ेगा ....दुःख से जो घबराता है वो कायर कहलाता है ..
      पर जब अपने छोटी-छोटी बातों में आकर दिल दुखातें हैं तो बड़ा दुःख होता है
      कितना अच्छा होता जब हर इंसान अपनी -अपनी जिम्मेदारियों को सहर्ष
      वहन कर अपना भार खुद ही ढोता...लूट -खसोट की प्रवृति नहीं रखता ...
      मेरे लिए ये उदगार एक कविता नहीं है राकेश जी ..बल्कि मुझे मौत के
      मुह से निकलने के लिए सतर्क करनेवाली एक शक्ति का नाम है ....जिसने मेरी बीमारी
      के पहले आकर मुझे सचेत किया था ...जिसने मौत को इतने पास
      से देखा हो ..उसे शायद सांसारिक चीजों से लगाव नहीं होना चाहिए ..पर
      गृहस्थ जीवन का पालन करना भी तो जरुरी है ..इसलिए न चाहते हुए
      भी दिल का दर्द जुबाँ पर आ ही जाता है ....बहुत चाहती हूँ की
      किसी का दिल नहीं तोड़ू पर बहुत मुश्किल है इस भंवर को पार करना ....
      सबको खुश करना आसान काम नहीं ..सबके दुःख को दूर करना भी
      मुश्किल है ...दौलत की भूख -प्यास रिश्ते के गणित को उलझा देती है ..
      बस ...मिलजुल कर रहना ..हँसते रहना मुझे बहुत पसंद है ...
      पर बड़ी कठिन है जीवन की राहें ....अपना कोई दुखी हो तो हँसना भी
      पाप लगता है ....बस इसलिए कल्पना की है उस जहाँ की ...और सपने
      देखें हैं उसके लिए और मेरे द्वारा देखे सपने अक्सर सच्चे होते हैं ..
      ये भी पूरा होगा ये मेरा विश्वास है ...

      Delete