Monday 10 September 2012

सागर की सच्चाई

 
बागों की शोभा फूलों से ही नहीं ....
तितलियों से भी होती है
माँ -बाप को कन्धा बेटे हीं नहीं
बेटियाँ भी देती है ......

खुद के दम पर आगे बढ़कर
सजाती है घर-द्वार
मत मारो उसे .....गर्भ में ....लेने दो आकार...

आओ बहनों मिलजुल कर
हम माएं ये प्रण करें ........
जन्म दें हम बेटियों को भी ......
सिर्फ बेटों के लिए नहीं मरें....

आँखों की ज्योति बेटा है तो ??????
दिल की धड़कन है बेटी 
वंश चलाता बेटा है तो 
बेटी है प्राणों की ज्योति ....

आओ हम सब मिलजुल कर 
आज अभी संकल्प करें ....
चहके अंगना बेटियों से ..
 खुशियों से इतना 
दामन भर दें 
 उपहार में श्मशान नहीं ,,,,,,,
उन्हें  भी    प्यारा सा घर दें  ...

सोचो जरा !
बेटी न होगी तो ?????
बहु कहाँ से लाओगी ......
बेटे को राखी किससे बंधवाएगी
कैसे होगा भाई-दूज औ ..
कन्यादान की रस्म
देख औरों की बेटी को तेरे
सपने होंगें भस्म ..

बेटी के बिना सूना होता है ...
माँ-बाप का संसार
बिना डोर के पतंग होती है
उड़ने से लाचार...

पतंग बेटे हैं तो
डोर होती हैं बेटियां
दिन बेटे हैं तो ...
भोर होती हैं बेटियां ....
सागर बेटे है तो
नदी होती हैं बेटियां ...
आओ हम सब मिलजुल कर
आज अभी कसम खाएं
बेटी से मुक्ति पाने को हम
अस्पताल नहीं जाएँ .....
क्योंकि ....
बेटी है तो माएं हैं
माओं से जमाना ...
 खारापन  सागर की सच्चाई है
इसे भूल नहीं जाना
इसे भूल नहीं जाना .....

25 comments:


  1. बागों की शोभा फूलों से ही नहीं ....
    तितलियों से भी होती है
    माँ -बाप को कन्धा बेटे हीं नहीं
    बेटियाँ भी देती है ......
    और अब तो पिता को मुखाग्नि भी देती हैं बेटियाँ (ये कोई सुनी सुनाई बात नहीं ,आशा शुक्ला जी हमारे बीच में अभी भी बरकरार हैं आप अब सेवा निवृत्त हैं आकाश वाणी से बतौर निदेशक .उन दिनों आप प्रोग्राम ऑफिसर थीं .भाई इनका उन दिनों मुंबई में था .पिता पार्किन्संस सिंड्रोम से ग्रस्त थे आपने उनकी देख भाल ऐसे की जैसे माँ एक एक पुत्र की बालपन में करती है .उनकी मृत्यु पर मुखाग्नि भी आशा जी ने दी .आशाजी आजकल भोपाल में अपने बड़े भाई के साथ रहतीं हैं .आपने शादी नहीं की ताकि पिता की सेवा में कोई व्यवधान न आने पावे .

    निहाल करतीं हैं बेटियाँ .बेटा प्रिय समाज सामाजिक विषमता के बीज न बोये बेटियों को जन्म से पहले ही मौत के हवाले करके .
    बहुत बढ़िया संतुलित पोस्ट .बहिन भाई दोनों ज़रूरी हैं परिवार में .


    ram ram bhai
    सोमवार, 10 सितम्बर 2012
    आलमी हो गई है रहीमा शेख की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी से पहली किस्त )
    आलमी हो गई है रहीमा शेख की तपेदिक व्यथा -कथा (आखिरी से पहली किस्त )

    एक साल तक रहीमा शेख, सिंह साहब के इलाज़ के तहत ही रहीं उसके बाद सिंह साहब ने खुद ही हाथ खड़े कर दिए .२००८ बीत रहा था डॉ .सिंह ने उनके भाई से कहा अब किसी बेहतर जगह दिखाओ इन्हें .

    ये लोग कानपुर चले आये और डॉ .एस .के .कटियार साहब से इलाज़ कराना शुरु किया .डॉ .कटियार ने इनका रिकार्ड देखा और कहा पचास फीसद से भी कम चांस बचा है अब इनके बचने का .बचे रहने का .रोग मुक्त हो जाने का .

    रहीमा के भाई ने राजी राजी सब कुछ जानते हुए भी उन्हें कहा वह तैयार है सब कुछ करने और फीस देने के लिए .यह कहते हुए भाई ने उनके ड्रग रेजिस्टेंस परीक्षणों की तमाम रिपोर्ट डॉ .कटियार को थमा दीं.

    डॉ .सिंह ने रिपोर्ट वापस करते हुए कहा इन रिपोर्टों की उन्हें कोई ज़रुरत नहीं है .कोई भी लेब भरोसे की नहीं है यहाँ किस पे भरोसा करें .इसीलिए सरकार अब इन्हें मान्यता प्रमाण पत्र देने के बारे में सोच रही है और इसके लिए लेब्स को ही पहल करनी होगी साकार से मान्यता प्राप्त करने की जो पर्याप्त निरीक्षण के बाद ही दी जायेगी .

    डॉ .कटियार ने जो सात दवाएं दीं उनमें वह तीन दवाएं भी शामिल रहीं जिनके प्रति रहीमा दवा प्रतिरोध दर्शा चुकी थी .दो हफ्ते का बिल बना २८,००० रुपया जो जैसे तैसे करके रहीमा के भाई और अब्बाजान ने मिलजुलकर जुटाया और उन्हें चुकता किया .अब दोनों खुक्कल हो चुके थे

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  2. बेटी के बिना सूना होता है ...
    माँ-बाप का संसार
    बिना डोर के पतंग होती है
    उड़ने से लाचार...

    हृदयस्पर्शी भाव ......सच में बेटियां भी बेटों से कम नहीं.....

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  3. यह सच ही नहीं शाश्वत सच्चाई है
    इसे अनदेखा कर हम अपने ही अस्तित्व मिटाने में लगे हैं

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  4. वाह...वाह....!! बहुत खूब!!!

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  5. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
    बहुत सुंदर बात कही है इन पंक्तियों में. दिल को छू गयी. आभार
    बेटी के बिना सूना होता है ...
    माँ-बाप का संसार
    बिना डोर के पतंग होती है
    उड़ने से लाचार...

    हृदयस्पर्शी भाव ......सच में बेटियां भी बेटों से कम नहीं.....

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  6. आज बेटिया बेटो से कम नहीं..सार्थक रचना..

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  7. डॉ साहिबा को बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई . हमें पुत्री का भी सम्मान करना चाहिए .
    बेटियां भी बेटों से कम नहीं.

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  8. क्योंकि ....
    बेटी है तो माएं हैं
    माओं से जमाना ....
    खारा होना सागर की सच्चाई है
    इसे भूल नहीं जाना
    इसे भूल नहीं जाना .....

    बहुत सच लिखा आपने
    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !

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  9. बेटियां समाज की धडकन होती है
    दो कुलों के बीच रिश्ता जोड़कर-
    घर बसाती है
    माँ बनकर इंसानी रिश्तों की,
    भावनाओ से जुडना सिखाती है
    पर तुमने-?
    पर जमने से पहले ही काट डाला
    शरीर में जान-?
    पड़ने से पहले ही मार डाला,
    आश्चर्य है.?
    खुद को खुदा कहने लगे हो
    प्रकृति और ईश्वर से
    बड़ा समझने लगे हो
    तुम्हारे पास नहीं है।
    कोई हमसे बड़ा सबूत,
    हम बेटियां न होती-?
    न होता तुम्हारा वजूद......

    RECENT POST - मेरे सपनो का भारत

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  10. बहुत सुंदर भाव हैं .... सच्चाई को कहती हुई रचना

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  11. बहुत सुन्दर और सार्थक भावों को उजागर करती रचना....
    बधाई इस सृजन के लिए.

    सस्नेह
    अनु

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  12. आओ बहनों मिलजुल कर
    हम माएं ये प्रण करें ........
    जन्म दें हम बेटियों को भी ......
    सिर्फ बेटों के लिए नहीं मरें....

    अगर नारी शक्ति इस बात के लए खड़ी हो जाए तो यकीनन प्रभावी परिवर्तन आ जायगा इस दिशा में ... बहुत लाजवाब रचना है ... आह्वान करती ...

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  13. बिटिया की महिमा अनन्त है।
    बिटिया से घर में बसन्त है।।

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  14. thanks ravikar jee .....aapka charchamanch nahi hool raha hai...

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  15. पतंग बेटे हैं तो
    डोर होती हैं बेटियां
    दिन बेटे हैं तो ...
    भोर होती हैं बेटियां ....
    सागर बेटे है तो
    नदी होती हैं बेटियां ...
    आओ हम सब मिलजुल कर
    आज अभी कसम खाएं
    बेटी से मुक्ति पाने को हम
    अस्पताल नहीं जाएँ .....
    क्योंकि ....
    बेटी है तो माएं हैं
    माओं से जमाना ...

    सच्ची बात ।

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  16. आओ हम सब मिलजुल कर
    आज अभी कसम खाएं
    बेटी से मुक्ति पाने को हम
    अस्पताल नहीं जाएँ .....
    क्योंकि ....
    बेटी है तो माएं हैं
    माओं से जमाना ...
    sahi kaha hai aap ne kash ke sabhi samjh jayen
    rachana

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  17. एक तथ्य जिसे नकारा जा ही नहीं सकता..!!

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  18. केवल बेटों से ही वंश नहीं चलता, बेटियों की संताने भी हमारे वंशज हैं।
    प्रेरणा देती अच्छी कविता।

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  19. माँ -बाप को कन्धा बेटे हीं नहीं
    बेटियाँ भी देती है ......

    sach hai ...ham behano ne apni Maa ki antim ichchha ke mutabik unko kandha diya tha ...!!

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  20. स्त्री तो जगत जननी होतो है !
    बहुत सुन्दर रचना !

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  21. ये दौर बड़ा हरजाई है ,

    बेटियाँ यहाँ कुम्हलाई हैं ,


    मुस्टंडों की बन आई है ,

    सरकार नहीं परछाईं हैं .

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  22. "पतंग बेटे हैं तो
    डोर होती हैं बेटियां
    दिन बेटे हैं तो ...
    भोर होती हैं बेटियां ....
    सागर बेटे है तो
    नदी होती हैं बेटियां ...
    आओ हम सब मिलजुल कर
    आज अभी कसम खाएं
    बेटी से मुक्ति पाने को हम
    अस्पताल नहीं जाएँ ....."
    मार्मिक प्रस्तुति - बहुत खूब

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  23. वाह!

    लाजबाब प्रस्तुति.

    आपके जज्बातों को नमन मेरा.

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