पेड़ हमें सिखाता है ...
प्रकृति का पहरेदार
अटूट विश्वास का पाठ पढाता है
नि:शब्द हमें वह कहता है .....
तन्हा हूँ पर ......
आओ बन्धु
दूंगा मदद की छांह
मुझमें समाया हुआ है प्यारा सा इक गाँव
कल क्या होगा ??????
पता नहीं ...
जाता हूँ मै कहीं नहीं
रफ्ता -रफ्ता जिन्दगी का
साथ निभाए जाता हूँ ...
अपनी तन्हाई के संग
झूम -झूम के गाता हूँ ...
तुम भी आओ
तुम भी गाओ
तन्हाई से प्यार करो ...
मिल रहा है जो जीवन में
ख़ुशी -ख़ुशी स्वीकार करो ....
प्रकृति से बहुत कुछ सीखा जा सकता है ॥सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ख़ूब!
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 27-08-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-984 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
dhanyavad chandrabhushan jee.....
Deleteभीड़ में अकेले रहने का हुनर
ReplyDeleteपेड़ हमें सिखाता है ... छाँव देकर , फल देकर देने का हुनर भी देता है .... पेड़ , सन्यासी सा लगता है
this is the original fact
ReplyDeleteप्रकृति से हम बहुत कुछ सीख सकते है...॥सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteमिल रहा है जो जीवन में
ReplyDeleteख़ुशी -ख़ुशी स्वीकार करो ....
सार्थक सन्देश देती सुन्दर रचना...
प्रकृति के माध्यम से आपने जीवंत कर दिया आपंने जड़ चेतन को
ReplyDeleteतुम भी आओ
तुम भी गाओ
तन्हाई से प्यार करो ...
मिल रहा है जो जीवन में
ख़ुशी -ख़ुशी स्वीकार करो ....
सच कहा- प्रकृति से बहुत कुछ सीखा जा सकता है.
ReplyDeletesahi kaha....
ReplyDeletehttp://apparitionofmine.blogspot.in/
great creation Nisha ji.
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन भाव ...आभार
ReplyDeletebahut sundar waah sach me prakruti hamen bahut kuch sikha deti hai .......:)) sakaratmak rachna
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
ReplyDeleteप्रकृति से ही जीवन की सच्ची सीख मिलती है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता।
तन्हा हूँ पर .....पेड़ सुनाता जीवन राग , . .तन्हा तन्हा मत सोचा कर ......औरों को भी कुछ सोचा कर ....बढ़िया पोस्ट ......महाकाल के हाथ पर गुल होतें हैं पेड़ ,सुषमा तीनों लोक की कुल होतें हैं पेड़ ...,जो तोकू काँटा बुवे ,ताहि को बोये , तू फूल ,तोकू फूल के फूल हैं ,वाकू हैं त्रिशूल (तिरशूल ).कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteसोमवार, 27 अगस्त 2012
अतिशय रीढ़ वक्रता (Scoliosis) का भी समाधान है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली में
http://veerubhai1947.blogspot.com/
बहुत सुन्दर पोस्ट
ReplyDeleteसाकरात्मक सोच
ReplyDeleteप्रभावी, प्रेरणादायी सोच....
ReplyDeleteबहुत सुंदर...
ReplyDeleteवृक्ष तनहाई का एहसास होने ही नहीं देते। वृक्षों के आसपास मैं खुद को कभी तनहाँ महसूस नहीं करता।
ReplyDeletesahi bat ...
Deletebahut bhawpurn..
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा कविता |
ReplyDeleteबहुत सटीक और सुन्दर विश्लेषण ....आभार
ReplyDelete