ब्लोगर साथियों आइये आज आपको गंगोत्री ले चलती हूँ हालाँकि उधर चढ़ाई नही करनी पड़ती है ...गाडी चली जाती है ...पर उधर का रास्ता बड़ा खतरनाक है पतली सड़क है डर के मारे जान निकल जाती है ....दो चार किलोमीटर ही है पतली सडक ...राम ..राम करके निकल जाता है ...आइये कुछ झलकियाँ आपके साथ बाँटती हूँ ....
बेटी के साथ ...वैसे ग्रुप वाले भी थे ..डॉ साहब भी हैं पीछे अधिकारी जी भी हैं ..
आइये उनका परिचय करवा दूं
गंगोत्री के लिए प्रस्थान की तैयारी
हम तैयार हो गए हम पर ड्राईवर साहब गायब हैं ...रात में उनकी
तबियत ख़राब हो गई थी ......हम जल्दी तैयार हो गए थे पर उनकी वजह से देर हो गई ...
खैर 8.30 बजे सुबह हम उत्तरकाशी के लिए रवाना हुए ....
पति केसाथ ...
1 बजे हम उत्तरकाशी पहुंच गए ..
जहाँ की काशी विश्वनाथ मंदिर है ..हमने दर्शन किये ...
शाम को 3 बजे हम भटवाडी के लिए रवाना हुए ...
हमें रात में वहीं रुकना था क्योंकि मेरा भतीजा वहीं पोस्टेड था ..
शायद उसके भी दिली पुकार ने मुझे उत्तराखंड के चारोधाम की यात्रा करवाई ..
पिछले साल ही मैं हरिद्वार होकर आई थी ...
पर समय की कमी की वजह से ये यात्रा नहीं कर पाई
पर रूपेश (भतीजा ) बार बार फोन करता था की दीदी आओ ..
इस बार गर्मी में मेरे पास 10 दिन रहो मै अपनी गाडी से घुमा दूंगा ....
रहना तो मुश्किल था इतना दिन अत: हमने रात वहीं बिताने की सोची वैसे भी गंगोत्री उस दिन पहुंचना मुश्किल था ...
रास्ते में मुनेरी डेम मिला ...
बहुत ठंडक थी वहां ...इस फोटो में करीब सभी थे ... ..
डॉ सुशील आत्रे (नेत्र रोग ) ,उनकी बीवी राजश्री आत्रे
अम्बरीश अधिकारी उनकी बीवी शशि अधिकारी
मेरी ननद सुलोचना देवी
मैं एवम मेरे पतिदेव संजय महाराणा ....
मेरी बगिया के दो फूल...
बेटा संकेत एवम बिटिया ईशा
मेरा भतीजा ..रूपेश ..
अपने मिनी मायके में ......
सच में मायके के नाम से ही चेहरा चमकने लगता है।.
दुसरे दिन सुबह 5.30 बजे हम गंगनानी के लिए रवाना हुए ..
गंगनानी पहुंचे ...वहां गरम पानी के कुण्ड में नहाये ...
पानी बहुत गरम था ..लोग लोटे से नहा रहे थे ...
हमें लगा की अगर हमारे पास भी लोटा रहता तो अच्छा होता ..
पानी बहुत गरम था पर लोग पानी में उतरकर नहा रहे थे .....मुझे भी बाद में लगा की
पानी में उतरकर ही नहाना था ....गंगनानी से हम नहाकर गंगोत्री के लिए पौने आठ में
रवाना हो गये ...
ख़ुशी -ख़ुशी हम कालभैरव के दर्शन कर रहे थे पर .....एक दुःख खबरी हमारा इन्तजार कर रही थी
रूपेश के पापा जिनकी रात से ही तबियत ख़राब थी उनको सुबह इलाज के लिए
डॉ ''के यहाँ ले जाया जा रहा था ..उनकी डेथ हो गई ...
मै आज भी रूपेश का रोता हुआ वो चेहरा नही भूल
पा रही हूँ ...
मुझे याद है मैंने उससे कहा था की दर्शन में देर तो नही होगी ..
उसने कहा था ..दीदी मैं विशेष दर्शन करवा दूंगा ...वहीं मेरी ड्यूटी है ..
पर इस खबर के साथ उसे लौटना पड़ा ...उसके पापा मेरे चचेरे चाचा हैं ...बहुत दुःख हुआ ..
इतनी छोटी सी उम्र में इतना बड़ा दुःख ?
बोर्ड देखकर राहत मिली ....मंजिल पास है ...
गाड़ी को पुलिसवाले ने पीछे रोक दिया ..
हम 11बजे पहुंचे गंगोत्री ..
जल्दी पहुँचते तो गाडी आगे तक आ सकती थी ...1-2 किलोमीटर चलना पड़ा ...
बहुत भीड़ थी ...विशेष दर्शन के लिए पैसे देकर हमने दर्शन किये .....
जल्दी आओ ......सच में बड़ी भीड़ थी ...रूपेश की बड़ी याद आई ....
दर्शन करके गंगोत्री से हम 1.16 बजे उत्तरकाशी के लिए रवाना हो गये ...
दर्शन करके लौट आये .....किसी का इन्तजार ..
लो ... मै आ गई ....
मम्मी....... मै भी ...
राह में पडाव.... वाह....... लकड़ी का घर ....हवा भी खुश ...
मम्मी..... फूल भी सुन्दर ....चाय के लिए ब्रेक में हम माँ -बेटी मजे कर रहे हैं ...
प्राकृतिक दूश्यों के मजे लीजिये ....भटवाडी के आसपास का दृश्य है ....
जंगल में लगी आग (दावानल)).....6 बजे शाम में हम उत्तरकाशी पहुंच गए ..
बस स्टैंड से ये दावानल दिख रहा है .
यहाँ पर रहने के लिए होटल एवम धर्मशाला भी काफी मिल जाता है ...
बस स्टैंड के पास ही हमने होटल लिया क्योंकि अगले दिन हमें केदारनाथ के लिए
प्रस्थान करना था ......
फिर मिलते हैं .......
bahut hi pyara darshan hai ye to.....
ReplyDeleteniki aur sanket looking so different :-)
बेहतर यात्रा वृतांत चित्र सब कुछ समझा रहे हैं ......केप्शन चित्र के अनुसार रोचक बन पड़े चित्र ...!
ReplyDeleteसुन्दर यात्रा वृत्तांत............
ReplyDeleteसुन्दर तस्वीरें....
चाचाजी को श्रद्धा सुमन
सस्नेह
सुंदर चित्र मयी पोस्ट ....
ReplyDeleteरूपेश के पिताजी के लिए विनम्र श्रद्धांजलि
सुन्दर चित्रों के साथ सुन्दर यात्रा वृत्तांत .... आभार निशा जी..
ReplyDeleteबहुत ही खुबसूरत तस्वीरें हैं और यात्रा वर्णन भी बढ़िया है !इस यात्रा की सभी पोस्ट अच्छी हैं पर मुझे ये पोस्ट सबसे बढ़िया लगी ! धन्यवाद् आपका इतनी रोमांचकारी यात्रा कराने के लिए .....
ReplyDeleteरूपेश के पिताजी के लिए विनम्र श्रद्धांजलि..
दो महीने पहले मैं भी गया था....इस झांकी के द्वारा आपने यादें ताजा करा दी
ReplyDeleteआभार
सुन्दर मनमोहक चित्रमय यात्रा वृत्तांत.....
ReplyDeleteRECENT POST...: दोहे,,,,
सुंदर चित्रमयी पोस्ट ....
ReplyDeleteक्या बात है वाह!
ReplyDeleteआपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 09-07-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-935 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
दुर्लभ चित्र। सुंदर पोस्ट।
ReplyDelete,बढिया से भी बढिया प्रस्तुति .
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें -
शुक्रवार, 6 जुलाई 2012
वो जगहें जहां पैथोजंस (रोग पैदा करने वाले ज़रासिमों ,जीवाणु ,विषाणु ,का डेरा है )
इस सचित्र प्रस्तुति के लिए आभार ...
ReplyDeleteचाचाजी के लिए विनम्र श्रद्धांजलि
बहुत बढ़िया पारिवारिक झलकियों के साथ गंगोत्री दर्शन कराने के लिए आभार!
ReplyDeleteVery nice post.....
ReplyDeleteAabhar!
Mere blog pr padhare.
होहि है सोई जो राम रचि राखा
ReplyDeleteआपके चचेरे चाचा जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि.
आपकी गंगोत्री यात्रा से मुझे भी अपनी गंगोत्री यात्रा का स्मरण हो आया.
मुझे दो बार वहाँ जाने का मौका मिला.
आपके चित्र बहुत सुन्दर कहानी बयाँ कर रहे हैं.
गंगोत्रि का जल कितना ठंडा है.आपने स्नान तो किया होगा.
मनोहारी प्रस्तुति के लिए आभार,निशा जी.
आपके इन मनमोहक चित्रों और नजारों के साथ हने भी माँ गंगोत्री के दर्शन कर लिए ... आप किस्मत वाली हैं साक्षात दर्शन कर लिए ...
ReplyDeletethanks to all..
ReplyDeleteख्याल बहुत सुन्दर है और निभाया भी है आपने उस हेतु बधाई, सादर वन्दे,बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteFor Reading Much more visit:
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सुंदर और सवित्र यात्रा विवरण पसंद आया।
ReplyDeletesundar yatra vivran..
ReplyDeleteसुंदर पोस्ट...
ReplyDeletethanks to all...
ReplyDeleteसुन्दर तस्वीरों के साथ यात्रा विवरन अच्छा लगा।
ReplyDeleteगंगोत्री धाम की सैर करवा दी आपने 'गंगा 'के दर्शन भी .
ReplyDeleteएक आसान सा जाना पहचाना सफर,
ReplyDeleteकेदारनाथ लम्बगाव के रास्ते ही गए होंगे
uttarkashi se phata hokar shershi pahuche the ...
Deleteमनमोहक चित्रमय यात्रा की सुंदर प्रस्तुति,,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST काव्यान्जलि ...: आदर्शवादी नेता,
पारिवारिक संस्पर्श के साथ नयना भिराम दृश्य अवलोकन करवाया आपने .शुक्रिया हमारे ब्लॉग पे आके प्रोत्साहन देते रहने का .
ReplyDeleteयात्रा वृतांत की सुंदर प्रस्तुति ..
ReplyDeleteहमें बैठे बैठे घुमाने के लिए शुक्रिया !
सादर !
सुन्दर तस्वीरों के साथ
ReplyDeleteयात्रा विवरन अच्छा लगा
शुक्रिया. जिस पारिवारिक उल्लास और एके की आपने हिस्सेदारी की है वह संयुक्त ब्लॉग परिवार की धरोहर बनता जा रहा है .
ReplyDeleteसुंदर चित्रावली के साथ गंगोत्री की यात्रा कर आनंद आ गया....
ReplyDeleteसादर।
बहुत ही विहंगम चित्रण ,शुक्रिया.
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