ब्लागर साथियों आपलोगों को बताते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है की मेरी अविस्श्नीय,अकल्पनीय ,अविस्मरनीय ......पहाड़ी ....दुर्गम रास्तों से गुजरकर जानेवाली यात्रा
पूरी हो गई .मैंने हमेशा यही सोचा था की मै केदारनाथ तो कभी जा ही नही सकती पर
मै वहाँ से वापस भी आ गई ....सच में बड़ा खतरनाक रास्ता है पर बहुत मजा आया सिर्फ एक दिन
डर लगा खतरनाक मोड़ों से फिर यात्रा रोमांचक लगने लगी थी ......आइये उन यादों को आपके साथ
बाँटती हूँ .....
शुरुआत गंगा स्नान से
पति संजय महाराणा और बेटा संकेत के साथ माँ गंगा की शरण में
हर की पौड़ी पर नहाने के बाद कपडे बदलने के लिए जगह की व्यवस्था भी है .
देखना मना है ..........
तैयार हो गये हम .
चंडी देवी और
मनसा देवी दर्शन के लिए रोपवे पर अम्ब्रिश अधिकारी जी और उनकी पत्नी
शशि ...हमारी यात्रा के सूत्रधार ......
पहली बार रोपवे में बैठने की कोशिश कर रही हूँ डर के मारे उपर देख रही हूँ साथ में बेटा संकेत .
दर्शन हो गया .
चलो अब सपनों का महल भी बना लें .
चारधाम
के लिए प्रस्थान
भीड़ में अकेला यही है दुनिया का मेला ....
चलिए फिर मिलते हैं ........
खूबसूरत चित्रमय झांकी यात्रा के प्रथम पड़ाव की .यहाँ तक सब कुछ हमारा भी देखा भाला है बचपन से बड़े होने तक कितनी ही बार .डॉ चाचा जी रहते थे हमारे अपर रोड हरिद्वार में .अच्छा लगा पारिवारिक स्पर्श इस पोस्ट पर .सलामत रहो मय परिवार .
ReplyDeleteअब समझे आपकी अनुपस्थिति का राज़......................
ReplyDeleteबहुत बढ़िया तस्वीरें............
:-)
बहुत ही सुदर यात्रा वर्णन आपने चित्रित किया है निशाजी!..बधाई!...इस यात्रा का मैंने भी तीन साल पहले लुफ्त उठाया था!...अनुभव बहुत ही बढ़िया रहा!
ReplyDeleteवाह .. चित्रमय यात्रा ... मज़ा आ गया ... आपके साथ हम भी यात्रा कर रहे हैं जैसे ...
ReplyDeleteयात्रा वर्णन बहुत ही सुंदर लगा
ReplyDelete,बेहतरीन प्रस्तुति ,
MY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: ब्याह रचाने के लिये,,,,,
बहुत सुन्दर चित्रमय यात्रा वर्णन....
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति यात्रा की
ReplyDeleteजय बद्रीविशाल....
ReplyDeleteअद्भुत यात्रा है चार धाम की.... क्या आनंद....
आपको सपरिवार सादर बधाई....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (12-062012) को चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
thanks to all...
ReplyDeleteयात्रा चित्र गाथा अच्छी लगी
ReplyDelete.बहुत ही रोचक यात्रा वर्णन और सुन्दर चित्र निशाजी!..बधाई!
ReplyDeleteचार धाम की सैर कराने के लिए आभार संजय जी. आपका ब्लॉग पर लौटना अच्छा लग रहा है....!
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी आपकी प्रस्तुति. तस्वीरों के जरिया virtually यात्रा हो गयी आपके साथ... धन्यवाद!!
ReplyDeletethanks sabhi ko.....
ReplyDeleteघूमो इसके अलावा और रखा ही क्या है इस दुनिया में
ReplyDeleteसुंदर चित्रमय यात्रा अच्छी लगी ।
ReplyDeleteNisha ji
ReplyDeletebahut hi sundar taswire hain.Main aapko kuch kahna chahuga aap seedhe ganga sanan pe pahuch gaye ! jara wistaar se romanchak banate huye likhe .Baki aapko charo dham ghumne ki badhai .....main aapko sirf salah de raha hoon kripya anyatha n le...
dhanyavad suresh jee aapke salah ke liye ye to shuruaat hai vistar se to nhi par aisee baten jarur btaungi jisse chardham janevale ko kuch guideline mil sake.....thanks again...,
Deleteगर्मियों में शीतलता का अहसास कराती यात्रा...
ReplyDeleteनीरज
यात्रा संस्मरण बाँटने के लिए आभार...
ReplyDeleteयात्रा संस्मरण की चित्रमय झाँकी बहुत सुंर बन पड़ी है. केदारनाथ जाना जीवट का काम है. आपको बधाई और आभार.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्रमय यात्रा वर्णन....
ReplyDeletebadhiya sansmaran..
ReplyDeleteइस यात्रा के लिए शुक्रिया आपका ...
ReplyDeleteचार धाम की यात्रा की बहुत अच्छी शुरुआत की है आपने..
ReplyDeleteगंगा स्नान से तन मन पवित्र हो गया.
१०७५ से १०७७ तक जब मैं बीएचईल हरिद्वार में था तो अक्सर
मनसा देवी, चंडी देवी हर की पौड़ी पर जाना होता था.उस जमाने में
रोप वे नहीं हुआ करती थी.आपने फिर से याद दिला दी है उस जमाने की.
आपकी सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति मन लुभा रही है.
बहुत बहुत आभार,निशा जी.
ganga snan bilkul mn ko lalayit kar raha hai ....yatra mangal may ho NIsha ji
ReplyDeletethanks to all...
ReplyDeleteHar Har Gange...
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर यात्रा वर्णन और फोटो |
ReplyDeleteआशा
बहुत बढिया
ReplyDeleteमनसा देवी के दर्शन हो गए