Thursday, 20 October 2011

मुर्गा बोला

मुर्गा बोला ....
कुकड़ू कु 
हुआ सबेरा जागो तुम 
दुनियां  जागी 
मुनियाँ जागी 
जाग रहा है 
घर सारा 
मुर्गी रानी 
मान भी जाओ 
तुम बिन मेरा 
कौन सहारा ?




मुर्गी बोली ........

खुद को दयनीय  बताकर 
दिल मेरा हर लेते हो ?
चाँद सितारे मेरे दामन में भरोगे .......
कहकर मुझे सब्जबाग दिखलाते हो ..........
छल करने की ये अनोखी अदा 
किस छलिये से सीखी है ?
देखी होंगी बहुत सारी पर ........
मुझ सी नही देखी होगी 
नही चाहिये चाँद सितारे 
नही महल न हरकारा 
मुर्गे राजा मुझको चाहिए 
केवल औ केवल साथ तुम्हारा .

14 comments:

  1. Very nice expressed by Murga and Murgi..
    Well written Nisha Ji.. I read u first time and will come again n again...

    Thanks to visit my blog and appreciate me..
    Regards....

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  2. सुबह सुबह आपकी प्यारी सी कविता पढ़कर बहुत अच्छा लगा! बहुत सुन्दर लिखा है आपने !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  3. बहुत सुंदर !
    कविता को एक नए अंदाज़ में परिभाषित किया है आप ने !

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  4. bahut khoob Nisha ji...........me to fan ho gaya apka

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  5. खूबसूरत प्रस्तुति |

    त्योहारों की नई श्रृंखला |
    मस्ती हो खुब दीप जलें |
    धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
    दीप जलाने चले चलें ||

    बहुत बहुत बधाई ||

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  6. सुन्दर बाल कविता.

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  7. मुर्गे राजा मुझको चाहिए
    केवल औ केवल साथ तुम्हारा .

    वाह ..

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  8. नही चाहिये चाँद सितारे
    नही महल न हरकारा
    मुर्गे राजा मुझको चाहिए
    केवल औ केवल साथ तुम्हारा .

    Sachmuch dampatyajivan ki khushhali pati -patni ke prem evm sahyog par nirbhar hai. Achhi rachna jo apne mein ek updesh bhi chhupaye huye hai.

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  9. बालकविता अच्छी लगी ......

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  10. :))खूबसूरत....
    आपको दीप पर्व की सपरिवार सादर शुभकामनाएं

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  11. बहुत सुन्दर

    मुर्गे से कई बात कहवा दी |दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
    chandankrpgcil.blogspot.com
    ekhidhun.blogspot.com
    dilkejajbat.blogspot.com
    पर आइगेया कभी| मार्गदर्शन की अपेक्षा है

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  12. मुर्गा-मुर्गी सवांद के बहाने सुंदर कविता का सृजन।

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