कुकड़ू कु
हुआ सबेरा जागो तुम
दुनियां जागी
मुनियाँ जागी
जाग रहा है
घर सारा
मुर्गी रानी
मान भी जाओ
तुम बिन मेरा
कौन सहारा ?
मुर्गी बोली ........
खुद को दयनीय बताकर
दिल मेरा हर लेते हो ?
चाँद सितारे मेरे दामन में भरोगे .......
कहकर मुझे सब्जबाग दिखलाते हो ..........
छल करने की ये अनोखी अदा
किस छलिये से सीखी है ?
देखी होंगी बहुत सारी पर ........
मुझ सी नही देखी होगी
नही चाहिये चाँद सितारे
नही महल न हरकारा
मुर्गे राजा मुझको चाहिए
केवल औ केवल साथ तुम्हारा .
:):)
ReplyDeleteVery nice expressed by Murga and Murgi..
ReplyDeleteWell written Nisha Ji.. I read u first time and will come again n again...
Thanks to visit my blog and appreciate me..
Regards....
सुबह सुबह आपकी प्यारी सी कविता पढ़कर बहुत अच्छा लगा! बहुत सुन्दर लिखा है आपने !
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteकविता को एक नए अंदाज़ में परिभाषित किया है आप ने !
bahut khoob Nisha ji...........me to fan ho gaya apka
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति |
ReplyDeleteत्योहारों की नई श्रृंखला |
मस्ती हो खुब दीप जलें |
धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
दीप जलाने चले चलें ||
बहुत बहुत बधाई ||
सुन्दर बाल कविता.
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ReplyDeleteमुर्गे राजा मुझको चाहिए
केवल औ केवल साथ तुम्हारा .
वाह ..
खूबसूरत....
ReplyDeleteनही चाहिये चाँद सितारे
ReplyDeleteनही महल न हरकारा
मुर्गे राजा मुझको चाहिए
केवल औ केवल साथ तुम्हारा .
Sachmuch dampatyajivan ki khushhali pati -patni ke prem evm sahyog par nirbhar hai. Achhi rachna jo apne mein ek updesh bhi chhupaye huye hai.
बालकविता अच्छी लगी ......
ReplyDelete:))खूबसूरत....
ReplyDeleteआपको दीप पर्व की सपरिवार सादर शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteमुर्गे से कई बात कहवा दी |दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
chandankrpgcil.blogspot.com
ekhidhun.blogspot.com
dilkejajbat.blogspot.com
पर आइगेया कभी| मार्गदर्शन की अपेक्षा है
मुर्गा-मुर्गी सवांद के बहाने सुंदर कविता का सृजन।
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