Monday, 19 August 2013

लहरों ने

लहरों   ने मिलाया 

लहरों ने जुदा किया 
न तेरी कोई खता थी 
न मैंने कुछ किया। 



35 comments:

  1. सब समय का खेल है!

    सुन्दर प्रस्तुति!

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  2. बहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुती, आभार

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  3. बहुत ही सुंदर ..

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  4. यह कविता के साथ एक सूक्ति है । बधाई ।

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  5. सुंदर सृजन लाजबाब प्रस्तुति,,,

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  6. लहरों ने मिलाया

    लहरों ने जुदा किया
    न तेरी कोई खता थी
    न मैंने कुछ किया।

    khubsurat aur laajawab dil ke karib behatarin wow

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  7. खुबसूरत रचना !!

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  8. अनुपम भाव संयोजन ...

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  9. बहुत खूब ... भावमय ... लहरें जीवन हैं कभी मिलाती हैं कभी जुदा करती हैं ...

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  10. बहुत खूब बेहतरीन...
    :-)

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  11. लहरों ने मिलाया
    लहरों ने जुदा किया
    ....सुंदर सृजन

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  12. संवेदनशील रचना बहुत ही भावपूर्ण ओर सुन्दर . बधाई ओर शुभकामनायें ...

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  13. गहन दर्शन सिमटा है इन पंक्‍तियों में । बहुत सुंदर ।

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  14. बहुत सुंदर क्षणिका ! बहुत खूब !

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  15. सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....

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  16. सशक्त विचार सम्प्रेषण करती हुई भाव कणिका।

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  17. लाजवाब प्रस्तुति ...

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  18. लाजबाब..संक्षेप में इससे गहरी बात और क्या हो सकती है।।।

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  19. शुक्रिया आपके नेहा पूर्ण टिप्पणियों का। ॐ शान्ति।

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  20. कभी कभी हमारे हाथ में कुछ नहीं होता
    बहुत सुन्दर !

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  21. वाह बहुत खुबसूरत

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  22. लहरों ने मिलाया
    लहरों ने जुदा किया

    न तेरी कोई ख़ता थी
    न मैंने कुछ किया...

    वाऽहऽऽ…!

    सचमुच हमारे हाथ में कुछ नहीं...
    आदरणीया डॉ.निशा जी
    सुंदर सत्य !

    मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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    1. dhanyavad rajendra jee ..bahut dinon bad aapke darshan huye ...

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  23. आपकी इस उत्कृष्ट रचना का प्रसारण कल रविवार, दिनांक 25/08/2013 को ब्लॉग प्रसारण http://blogprasaran.blogspot.in/ पर भी .. कृपया पधारें !

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  24. न तेरी खता थी न मैंने कुछ किया .. बहुत खूब

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  25. सब कुछ वक़्त के हाथ है...

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  26. बहुत खूब लिखा है। शुक्रिया आपकी टिपपणी का।

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  27. you described life and relationship in 3 simple lines...that is called true poetry..:)

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