tag:blogger.com,1999:blog-5138351838195500188.post2464742363129493911..comments2023-10-10T04:17:54.943-07:00Comments on My Expression: अस्तित्वहीनDr.NISHA MAHARANAhttp://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5138351838195500188.post-87414398376593396952011-09-01T07:32:41.772-07:002011-09-01T07:32:41.772-07:00मेरी रचना पर अपना राय देने के लिये
तहेदिल से आप सब...मेरी रचना पर अपना राय देने के लिये<br />तहेदिल से आप सबकी शुक्रगुजार हूँ।Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5138351838195500188.post-79191652749893297802011-09-01T01:34:02.890-07:002011-09-01T01:34:02.890-07:00हर घर-हर समाज
पूरे संसार मैं
जिससे बनती है
रिश्तों...हर घर-हर समाज<br />पूरे संसार मैं<br />जिससे बनती है<br />रिश्तों की फूलवारी<br />वो है सृजन में लिप्त<br />हर घर की अस्तित्वहीन नारी ?<br />कैसी विडंबना है जिससे होता सबका अस्तित्व<br />वो खुद है अस्तित्वहीन ।<br />बहुत ही सार्थक सामयिक चिंतन युक्त वैज्ञानिक संकेतों के माध्ह्यम से अबिव्यक्त मार्मिक प्रस्तुति ..सादर !!!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16174745947449762169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5138351838195500188.post-90232156598695315342011-09-01T00:37:54.520-07:002011-09-01T00:37:54.520-07:00बहुत गहन और सुन्दर भावाव्यक्ति।बहुत गहन और सुन्दर भावाव्यक्ति।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5138351838195500188.post-38343735765314338532011-08-31T22:31:39.075-07:002011-08-31T22:31:39.075-07:00यथार्थ है आपकी इस कविता मे।
सादरयथार्थ है आपकी इस कविता मे। <br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5138351838195500188.post-35309635432158095062011-08-31T21:19:01.663-07:002011-08-31T21:19:01.663-07:00जड के ऊपर खडा रहता है
दंभी तना ?
जड से सब-कुछ लेकर...जड के ऊपर खडा रहता है<br />दंभी तना ?<br />जड से सब-कुछ लेकर<br />जो अभिमानी बना ?<br /><br />अच्छी प्रस्तुति....<br /><br />जब भी हम पेड़ को देखते हैं उसके जड़ों का अस्तित्व स्वतः आत्मसात हो जाता है... इसलिए मुझे लगता है कि जड़ें अदृष्ट कही जा सकती हैं अनस्तित्व नहीं...<br /><br />नारी के परिप्रेक्ष्य में आपके तुलनात्मक आंकलन में यथार्थबोध समाहित है... सुगढ़ चिंतन के लिए सादर बधाई...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5138351838195500188.post-9018512286939187622011-08-31T19:31:44.852-07:002011-08-31T19:31:44.852-07:00कैसी विडंबना है जिससे होता सबका अस्तित्व
वो खुद है...कैसी विडंबना है जिससे होता सबका अस्तित्व<br />वो खुद है अस्तित्वहीन ....<br /><br />निशा जी पहली बार पढ़ा आपको पर आपके भाव अंकित हो गए ह्रदय पर ...<br />बहुत सार्थक रचना है ..badhai.Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5138351838195500188.post-29151781395423715742011-08-31T11:07:16.726-07:002011-08-31T11:07:16.726-07:00आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 01-09 - 20...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 01-09 - 2011 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> ...नयी पुरानी हलचल में आज ... दो पग तेरे , दो पग मेरे </a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5138351838195500188.post-69358723693585127442011-08-30T08:15:08.926-07:002011-08-30T08:15:08.926-07:00thank both of you.thank both of you.Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5138351838195500188.post-47007553498992698672011-08-29T11:12:16.042-07:002011-08-29T11:12:16.042-07:00अदभुत दर्शन प्रस्तुत किया है आपने.
गहन,सार्थक और म...अदभुत दर्शन प्रस्तुत किया है आपने.<br />गहन,सार्थक और मार्मिक प्रस्तुति <br />प्रश्नवाचक चिन्ह के साथ.<br /><br />सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.<br /><br />मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5138351838195500188.post-77615915433162948612011-08-29T10:43:06.004-07:002011-08-29T10:43:06.004-07:00वो है सृजन में लिप्त
हर घर की अस्तित्वहीन नारी ?
क...वो है सृजन में लिप्त<br />हर घर की अस्तित्वहीन नारी ?<br />कैसी विडंबना है जिससे होता सबका अस्तित्व<br />वो खुद है अस्तित्वहीन ।<br /><br />गहन अभिव्यक्ति ... नारी जो घर को जोड़े रखती है सच ही जड़ के समान है ... मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार <br /><br /><br /><br />कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...<br /><br />वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए <br />डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com