Monday 30 July 2012

केदारनाथ चलें

                          

    

ब्लोगर साथियों आज  केदारनाथ यात्रा के बारे में बता देती हूँ बहुत दिन हो गए ...
कभी कंप्यूटर साथ नही दे रहा था तो कभी समय ...
29.5. को हम उत्तरकाशी से सुबह 7 बजे केदारनाथ के लिए रवाना हुए ....
जल्दी निकलने के मूड में थे हम पर पेट्रोल ख़त्म हो जाने की वजह से देर हो गई थी ..
जब पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल मिला तब हमारी यात्रा शुरू हुई ...
पेट्रोल का ध्यान रखना जरुरी है ...हमें कई बार परेशानी हुई ...
खैर जैसे तैसे शेरसी पहुंचे शाम के 4.45 में ....
पता चला की अब केदारनाथ नही जा सकते  क्योंकि रिपोर्टिंग टाइम निकल गया है
जबकि हमें कहा गया था की रात के 8 बजे तक फ्लाईट जाती है ..
हमको  कहा  गया आपका टिकट बेकार हो गया ...लास्ट फ्लाईट शाम के 5 बजे तक जाती है ...
हम सभी तनाव में आ गए ...जैसे तैसे करके एजेंट से बात की ...
तब हमें 30 .7 को आने के लिए कहा गया ...30 को शाम 3 बजे हमारी बारी आई ...
हमने हरिद्वार से ही हेलीकाप्टर के लिए बुकिंग कराई  थी।..रात हमें शेरसी में रुकना पड़ा ...
        










                             उत्तरकाशी से केदारनाथ के रस्ते में चाय के लए रुके थे हम .....






   अपनी बारी का इन्तजार   ...




    केदारनाथ पहुच गए हम .......आख़िरकार  मेरा सपना पूरा हुआ ...जिसके बारे में मै  सोचती थी
की मैं कभी केदारनाथ नही जा सकती क्योंकि मुझे ऊंचाई से बहुत डर  लगता है ...पर अधिकारी जी
और उनकी पत्नी शशि के साथ हमारी ये यात्रा पूरी हो गई ....बहुत बहुत धन्यवाद उनको ....







बहुत सुन्दर दृश्य थे ...दिल खुश हो गया ....


कुछ -कुछ जगह बर्फ भी थे बहुत मजा आया   ....


सभी फिसल रहे थे  ..गिर रहे थे ...हँसते -हँसते बुरा हाल था  था मेरा
हाँ मै नही फिसली ...







मंदिर के करीब हैं हम ...








हम 3 बजे शाम में केदारनाथ पहुँच गए थे ..6 मिनट लगा शेरसी से आने में ..हेलिकोप्टर द्वारा
ज्यादा चलना नही पड़ा ....बर्फ पर हमने खूब मजे किये ...3.30..बजे शाम को दर्शन के लिए हम लाइन में लगे ..
5.30 में दर्शन हुए ...रात वही रुकना पड़ा ....










दुसरे दिन सुबह लौट गए ...रात और सुबह ठण्ड थी वैसे मौसम बड़ा अच्छा था






                                           बाहर बहुत ठण्ड थी अत: अन्दर आ गए हम ...


                                                  चाय की जरुरत थी ठण्ड की वजह से ...







कुल मिला कर बहुत मजा आया .....देर से पहुचने की वजह से कुछ तनाव अवश्य हो गया था ...
इसलिए जरुरी है की टिकट बुक कराते समय ये बातें साफ हो जाय क्योंकि जाम की वजह से भी कई बार देर हो जाती है .....

फिर मिलते है ........धन्यवाद    ....

Saturday 7 July 2012

गंगोत्री चलें

ब्लोगर साथियों आइये आज आपको गंगोत्री ले चलती हूँ हालाँकि उधर चढ़ाई नही करनी पड़ती है ...गाडी चली जाती है ...पर उधर का रास्ता बड़ा खतरनाक है पतली सड़क है डर के मारे जान निकल जाती है ....दो चार किलोमीटर ही है पतली सडक  ...राम ..राम करके निकल जाता है ...आइये कुछ झलकियाँ आपके साथ बाँटती हूँ ....






गंगोत्री के लिए प्रस्थान की तैयारी



हम तैयार  हो     गए हम पर ड्राईवर साहब गायब हैं ...रात में उनकी
तबियत ख़राब हो गई थी ......हम     जल्दी तैयार हो गए थे पर उनकी वजह से देर हो गई ...
खैर 8.30 बजे सुबह हम उत्तरकाशी के लिए रवाना हुए ....    









पति केसाथ  ...



1 बजे हम उत्तरकाशी पहुंच गए ..
जहाँ की      काशी विश्वनाथ मंदिर है ..हमने दर्शन किये ...
शाम को 3 बजे हम भटवाडी  के लिए रवाना हुए ...
हमें रात में वहीं रुकना था क्योंकि मेरा भतीजा वहीं पोस्टेड था ..
शायद उसके भी दिली पुकार ने मुझे उत्तराखंड के चारोधाम की यात्रा करवाई ..
पिछले साल ही मैं  हरिद्वार होकर आई थी ...
पर समय की कमी की वजह से ये यात्रा नहीं कर पाई

पर रूपेश (भतीजा ) बार बार फोन करता था की दीदी आओ ..
इस बार गर्मी में मेरे पास 10 दिन रहो मै अपनी गाडी से घुमा दूंगा ....
रहना तो मुश्किल था इतना दिन अत: हमने रात वहीं बिताने की सोची वैसे भी गंगोत्री उस दिन पहुंचना मुश्किल था ...











बेटी के साथ ...वैसे ग्रुप वाले भी थे ..डॉ साहब भी हैं पीछे अधिकारी जी भी हैं ..





रास्ते में मुनेरी डेम मिला ...
बहुत ठंडक थी वहां ...इस फोटो में करीब सभी थे ... ..

आइये उनका परिचय करवा दूं

डॉ सुशील आत्रे   (नेत्र  रोग ) ,उनकी बीवी राजश्री आत्रे
अम्बरीश अधिकारी उनकी बीवी शशि अधिकारी
मेरी ननद सुलोचना देवी
मैं एवम मेरे पतिदेव संजय महाराणा ....








मेरी बगिया के दो फूल...
 बेटा संकेत एवम बिटिया ईशा





मेरा भतीजा ..रूपेश ..







अपने मिनी मायके में ......
सच में मायके के नाम से ही चेहरा चमकने लगता है।.









दुसरे दिन सुबह 5.30 बजे हम गंगनानी के लिए रवाना हुए ..
 गंगनानी पहुंचे ...वहां गरम पानी के कुण्ड में नहाये ...
पानी बहुत गरम था ..लोग लोटे से नहा रहे थे ...
हमें लगा की अगर हमारे पास भी लोटा रहता तो अच्छा होता ..







पानी बहुत गरम था पर लोग पानी में उतरकर नहा रहे थे .....मुझे भी बाद में लगा की
पानी में उतरकर ही नहाना था ....गंगनानी से हम नहाकर गंगोत्री के लिए पौने आठ में
रवाना हो गये ...












ख़ुशी -ख़ुशी हम कालभैरव के दर्शन कर  रहे थे पर .....एक दुःख खबरी हमारा इन्तजार कर रही थी

रूपेश के पापा जिनकी रात से ही तबियत ख़राब थी उनको सुबह इलाज के लिए
डॉ ''के यहाँ ले जाया जा रहा था ..उनकी डेथ हो गई ...
मै  आज भी रूपेश का रोता हुआ वो चेहरा नही भूल
पा रही हूँ ...


मुझे याद है मैंने उससे कहा था की दर्शन में देर तो नही होगी ..
उसने कहा था ..दीदी मैं विशेष दर्शन करवा दूंगा ...वहीं मेरी ड्यूटी है ..
पर इस खबर के साथ उसे लौटना पड़ा ...उसके पापा मेरे चचेरे चाचा हैं ...बहुत दुःख हुआ ..
इतनी छोटी सी उम्र में इतना बड़ा दुःख ?












बोर्ड देखकर राहत मिली ....मंजिल पास है ...








गाड़ी को पुलिसवाले ने पीछे रोक दिया ..
हम 11बजे पहुंचे गंगोत्री ..
जल्दी पहुँचते तो गाडी आगे तक आ सकती थी ...1-2 किलोमीटर चलना पड़ा ...








बहुत भीड़ थी ...विशेष दर्शन के लिए पैसे देकर हमने दर्शन किये .....









जल्दी आओ ......सच में बड़ी भीड़ थी ...रूपेश की बड़ी याद आई ....





दर्शन करके गंगोत्री से हम 1.16 बजे उत्तरकाशी के लिए  रवाना हो गये ...








दर्शन करके लौट आये .....किसी का इन्तजार ..











लो ... मै  आ गई ....









मम्मी....... मै  भी ...






राह में पडाव.... वाह....... लकड़ी का घर ....हवा भी खुश ...




मम्मी..... फूल भी सुन्दर ....चाय के लिए ब्रेक में हम माँ -बेटी मजे कर रहे हैं ...




















प्राकृतिक दूश्यों के मजे लीजिये ....भटवाडी के आसपास का दृश्य है ....





जंगल में लगी आग (दावानल)).....6 बजे शाम में हम उत्तरकाशी पहुंच गए ..
बस स्टैंड से ये दावानल दिख रहा है .
यहाँ पर रहने के लिए होटल एवम धर्मशाला भी काफी मिल जाता है ...
बस स्टैंड के पास ही हमने होटल लिया क्योंकि अगले दिन हमें केदारनाथ के लिए
प्रस्थान करना था ......


फिर मिलते हैं .......